
Bundelkhand Ke Sake बुन्देलखंड के साके
बुन्देलखंड की लोकगाथाओं में Bundelkhand Ke Sake एक महत्त्वपूर्ण प्रकार हैं। बुन्देलखंड की कुछ लोकगाथाएँ ‘साकौ’ के नाम से प्रचलित हैं। उनमें प्रायः वीर पुरुषों,...
बुन्देलखंड की लोकगाथाओं में Bundelkhand Ke Sake एक महत्त्वपूर्ण प्रकार हैं। बुन्देलखंड की कुछ लोकगाथाएँ ‘साकौ’ के नाम से प्रचलित हैं। उनमें प्रायः वीर पुरुषों,...
बुन्देलखंड की शौर्य गाथा का यह Parmal Raso ग्रंथ ‘आल्हा’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया है। सम्पूर्ण ग्रंथ आल्हा-उदल की वीरता पर केन्द्रित है।...
बुन्देलखंड का काँड़रा नृत्य परम्परा बहुत पुरानी है जिसे आज धोबियाई नृत्य कहा जाता है। प्राचीन काल मे निर्गुण ब्रह्म के भक्तों ने काँड़रा नृत्य...
बुन्देलखंड मे भाँड़ों के लोकनाट्य को भँड़ैती या कहीं-कहीं नकल कहते हैं। Bundelkhand ki Bhadenti के अलग मंच भी थे और अन्य लोक नाट्यों मे...
बुन्देलखंड मे रासलीला को ‘रहस’ नाम से पुकारा जाता है। Bundelkhand ka Rahas बुन्देली लोक नाट्य का ही अलग रूप है। जो बृज और बुंदेली...
बुन्देलखण्ड के सांस्कृतिक इतिहास में ऐसे प्रामाणिक साक्ष्य मिलते हैं, जो यह सिद्ध कर देते हैं कि Bundelkhand ki Ramleela और रामसंस्कृति बहुत प्राचीन है।...
बुन्देलखंड की Parsa Lok Gatha मे जादू-टोने का अजीब ताना-बाना बुना गया है। परसा की गोपीचन्दा को ब्याहने की इच्छा थी। गोपीचन्दा ने तालाब में...
बुन्देलखंड की Gahnai Lok-gatha कुछ क्षेत्रों में गोचारण के लिए जाते समय या गोचारण के बाद लौटते समय अहीरों द्वारा गाया जाता है। अहीरों के...
यह लोकगाथा बुन्देलखंड की चरागाही संस्कृति पर आधारित होती हुई भी दाम्पत्य-परक समस्या को केन्द्र में रखकर चलती है। चिड़िया Dharmasanvari और चिड़वा...
बुन्देलखंड मे कारस देव को लोक देवता के रूप मे माना जाता है। बुन्देलखंड अंचल में Karas Dev को पशुओं का डॉक्टर माना जाता है।...